Tuesday, September 9, 2008

युग मानस द्वारा परिचर्चा




युग मानस



युग मानस विगत 14 वर्षों से हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है । युग मानस के संस्थापक इस क्षेत्र में विगत 22 वर्षों से सक्रिय हैं । बहुभाषाई राष्ट्र भारत में एक संपर्क भाषा के महत्व के आलोक में हिंदी की श्रीवृद्धि हेतु पूरी निष्ठा से संलग्न युग मानस की ओर से हिंदी भाषाई चेतना बढ़ाने एवं हिंदी का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार एवं विकास की दिशा में गिलहरी सेवा के रूप में सदा कई प्रयास किए जा रहे हैं ।


राजभाषा हिंदी षष्ठिपूर्ति वर्ष



इसी क्रम में हिंदी की चेतना बढ़ाने तथा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु युग मानस ने वर्ष 2008 – 09 को राजभाषा के रूप में हिंदी की षष्ठिपूर्ति वर्ष के रूप में मनाने का संकल्प किया है । इस संबंध में विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी ।


Ø परिचर्चा से इस आयोजन का श्रीगणेश किया जा रहा है ।
Ø चर्चा का मूल विषय - हिंदी के विकास के लिए हमें क्या करना है ?
Ø परिचर्चा के मुख्य विषयों की घोषणा दि.14 सितंबर, 2008 को किया जाएगा ।
Ø परिचर्चा हेतु प्राप्त विचारों को दि.14 सितंबर, 2008 से विश्वहिंदी में स्थान दिया जाएगा ।
Ø यह परिचर्चा 14 सितंबर, 2008 से 14 सितंबर, 2009 तक जारी रहेगी ।
Ø कृपया परिचर्चा में आप स्वयं भाग लीजिए तथा अपने सभी मित्रों को भी शामिल कीजिए ।
Ø यह भी निवेदन है कि आप जो भी विचार व्यक्त करेंगे, उन्हें स्वयं अपने स्तर पर आत्मसात करते हुए हिंदी की श्रीवृद्घि में योगदान सुनिश्चित करने की कृपा कीजिए ।
Ø इस परिचर्चा हेतु आप अपने विचार yugmanas@gmail.com पते पर ई-मेल द्वारा भेज सकते हैं ।
Ø आज ही आप अपने विचार भेजना शुरू कर सकते हैं ।